सोमवार, 15 जनवरी 2024

विजेताओं को प्राप्त अंक और रैंकिंग

सभी सम्मिलित प्रतिभागियों का हार्दिक आभार और सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं।
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क्रमवार अंक तालिका :-
1. कमल पटेल  29 अंक
2. आलोक अजनबी  28.5 अंक
3. अज्ञात 28 अंक
4. बलवंत सिंह राणा  27 अंक
5. लोकेश कौशिक 26 अंक
6. सीमा गुप्ता 24
7. पूनम सिंह भदौरिया 22
8. रीता पुनित उपाध्याय21
9. महाश्वेता राजे 20.5
10. मोनिका डागा आनंद 20
11. योगिता मधुसूदन सडाणी 19
12. अवध नारायण यादव 18
13. खुशबू 17.5
14. पुष्पा सिंह अचला 17
15. कमल बाबू तिवारी 17
16. दिप श्री सारडा 17
17. कीर्ति देवानी 16.5
18. के. पी. एस. चौहान 16
19. ज्योति जैन 16
20. आभा गुप्ता 15.5
21. आरती पाण्डेय 15
22. ओम प्रकाश 14.5
23. प्रमिला सैनी 14.5
24. रघुनाथ पालीवाल 14

सभी को मकर संक्रान्ति, पोंगल एवं लोहड़ी पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं 🙏

नोट :– उपरोक्त निर्णय ही अन्तिम निर्णय है अतः इसमें कोई हस्तक्षेप मान्य नहीं है। जिनको बराबर अंक मिले हैं पर क्रमांक पिछे है, का आशय है कि आपकी रचना में भावनात्मकता संबंधित रचनाकर से हल्का कम प्रदर्शित थी।

गुरुवार, 11 जनवरी 2024

रघुनाथ पालीवाल

मेरा जीवन तुमसे
कितनी बाते याद आती हैं, 
तस्वीरो सी बन जाती है।
मैं कैसे इन्हे भूलू,दिल को किया समझाऊं। 

कितनी बाते कहने की ,, 
कामना होठों पर जो सहमी सी है। 
इक रोज़ इन्हे सुन लो उषा, क्यो ऐसी गुमसुम हो?

क्यो पूरी हो ना पाई दास्तान?
कैसे आई है ऐसी दूरियां?
दोनो के दिलो में छुपा है जो एक अंजाना सा गम।। 
स्व रचित @ रघुनाथ पालीवाल जोधपुर

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
वर्तनी एवं विराम चिन्ह
वचन (एकवचन और बहुवचन के प्रयोग)
इन्हें , भूलूं , नुक्ता, तुकांत नहीं है।
कोई अंश तीन पंक्ति तो कोई चार पंक्ति के है। 

पुष्पा सिंह अचला

मेरा जीवन तुमसे है 
माता पिता के दिल का टुकड़ा, पल में होगी पराई l
न चाहकर भी करनी होगी विवाह से रस्म विदाईll

ढूंढ ढूंढ कर वर ढूँढा सुयोग्य l
प्रभु की लीला "चश्मे" ने कराया संजोग ll

बात आगे बड़ी कर दी गई सगाई l
हरवेन्द्र के मन में अब तो पुष्पा थी समाई ll

हाथों में हाथ लिए नए सफर पर साथ चले l
 खट्टे मीठे अनुभव कदम दर कदम मिले ll

भारी तूफानों में संबंध हमारे डोले थे l
तलाक दे दो एक दूजे को घरवाले यूँ बोले थे ll

जुदा हो कर हमने महीनों गुजारे थे l
कभी देखने को, कभी सुनने को तरसे थे ll

 एक दूजे के बिन हम जी ना पाए थे l
मेरा जीवन तुमसे ही, फिर हम ये बोले थे ll

पुष्पा हरर्वेंद्र का बंधन बना अटूट l
'अचला' बिछड़े तभी जब सांसे जाए छूट ll
                                   – पुष्पा सिंह 'अचला'

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
वर्तनी एवं सटीक शब्द का प्रयोग।
जैसे बड़ी के स्थान पर बढ़ी का प्रयोग होना चाहिए था।

बुधवार, 10 जनवरी 2024

ओम प्रकाश सारडा जी

"ओम-पुष्प"
मैं मधु.. तू मेरी शाला.. 
मैं महफिल.. तू मेरी हाला.. 
अंधकारमय जीवन में,
कदम कदम पर.. 
हमेशा किया उजाला। 

वस्तविकता के संघर्ष में, 
प्रिये मेरी प्रेरणा तू ! 
ओम हृदय बसी चुभन- पीड़ा की, 
पुष्प सम कोमल, वेदना हरणा तू ! 
जीवन की तूही सफलता-दुशाला! 

जीवन के उतार चढ़ाव में, 
हर मोड, हर पड़ाव में.. 
बन जाती हो..
कोई नसीहत, 
ओ मेरी पाठशाला! 

तू धीरज, तू अचरज
तू शिद्दत, तू शिरकत
तू मोहब्बत, तू उल्फत
तुझी से बन- बिगड़ रहा 
जीवन का खेला! 

मैं प्यास, तू जल
मैं भूक, तू निवाला
मैं घाव, तू मरहम, 
अब तो.. 
तूही आँचल माँ वाला! 

- ओमप्रकाश सारडा, पुणे
"सलिल"

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
वर्तनी एवं विराम चिन्ह
मोड = मोड़
भूक = भूख
खेला शब्द में तुकांत भिन्नता है।

रीता पुनीत उपाध्याय

मेरा जीवन तुमसे है।

ईश्वर ने जोड़ा इस रिश्ते को एक डोर से,
हमने सजाया इसे प्रेम और विश्वास से।
रीता थी अधूरी बिन पुनीत के,
कर दिया पूरा इसे अपनी प्रीत से।
    कैसे कहूं? क्या हो आप मेरे लिए?
सूरज की रोशनी भी आप,
चांद की चांदनी भी आप।
इस हवा में घुली भीनी भीनी सी 
खुशबू भी आप।
    दिया है साथ आपने हर मुश्किल में मेरा।
आपसे ही तो है मेरे जीवन का हर सवेरा।
हर दर्द की दवा बनकर 
आप थे साथ मेरे रहगुजर बनकर।
   
    इस प्रेम की बगिया में खिले दो फूल अनमोल।
किसे सींचा हमने अपने प्रेम से बिना कोई भूल।

आप के बिना मैं थी अधूरी
आपसे ही तो चलती है मेरे सांसों की डोरी।
जीवन के इस सफर में रहे हरदम साथ हमारा।।
©रीता पुनित उपाध्याय

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
वर्तनी एवं विराम चिन्ह
कोई अंश तीन पंक्ति के, कोई 4 या अधिक तो कोई 2 पंक्ति के है। 

मंगलवार, 9 जनवरी 2024

अज्ञात

सिर्फ तुम हो, और खास ,कुछ भी नही
वर्षा, तेरे सिवा मेरे पास, कुछ भी नहीं 
जब तलक साथ हो, जिंदा हूं मैं
वर्ना फिर ये श्वास, कुछ भी नहीं
तू कहे वो सच मान लेता हूं
मेरा गैरो पर विश्वास, कुछ भी नहीं
तेरे होने से महकता है घर मेरा
तेरे आगे फूल, पत्ती, पलाश, कुछ भी नहीं 
तू राधा, मैं कन्हैया हूं तेरा
और राधा बिन रास, कुछ भी नहीं 
                – अज्ञात

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
वर्तनी एवं विराम चिन्ह
नहीं, वरना
अपने स्वयं का ही नाम नहीं लिखा।
कविता को निबंध या लेख की तरह न लिखें।

कमल पटेल

पत्नी और मोबाइल
पत्नी और मोबाइल
 एक सरिका दादा।
इनकी करे जो केयर
 कदी नी आवे बाधा।।

आटो होय तो पत्नी
 झट रोटियां बणई दे।
डाटो होय तो मोबाइल
 जो चाहो दिखई दे।।
  बिन पत्नी जीवन 
लागे बिल्कुल सादा‌।
पत्नी और मोबाइल
 एक सरीका दादा।।

बिना पत्नी सब लागे सून।
गर्मी का महीना जैसे मई और जून।।
मोबाइल बगैर नींद नी आवे।
बैलेंस नी होय तो, मन चैन नी पावे।।
पत्नी बिन पुरुष, लागे आधा-आधा।
पत्नी और मोबाइल एक सरीका दादा।।

नी होय पत्नी तो भैया, जीवन लागे खाली।
घर संभाळे पत्नी,कहलावे दादा घरवाली।।
घर बैठा करदे काम, मुख पे लावे स्माइल।
सबको प्यारो यंत्र है,नाम है भैया मोबाइल।।
म्हारो जीवन थारसे सपना,कंई बोलूं ज्यादा।
  पत्नी और मोबाइल एक सरिका दादा।।
         – कमल पटेल

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :–
अल्प विराम चिन्ह नहीं।

कमल बाबू तिवारी

शीर्षक -मेरा जीवन तुमसे है

जिस दिन प्रिये मिली हो
जीवन संवर गया है
मेरे अकेलेपन का
सब ज्वर उतर गया है
प्रिय श्वास तुम्ही तो हो
एक आस तुम्ही तो हो
मेरे जीवन का
विश्वास तुम्ही तो हो
देखा था भर नज़र के
हम हो गए थे तेरे
फिर परिजन समक्ष अग्नि
हमने लिए थे फेरे
अब हे प्रिये तुम्हारे
विन अस्तित्व कुछ न मेरा
कुछ भी तो अलग नहीं है
मेरा तो सब कुछ तेरा
मेरी जीत तुम्ही तो हो 
मेरी हार तुम्हीं तो हो 
प्रिय 'कमल ' क़ी नैया क़ी
पतवार तुम्हीं तो हो
मै छोड़ 'कल्पना 'कहाँ जाऊँ
ये जीवन सुरभि कहाँ पाऊं
चाहे कितना रूठो मुझसे
मै करि मनुहार मना लाऊ
जिस दिन तुम मेरे घर आई
बाजी थी उस दिन शहनाई
प्रियतमा साथ तुम अपने ही
मेरे जीवन में बहार लाई
प्रिय हम तुम दोनों जभी मिले
इस आंगन मे दो फूल खिले
दिनभर दोनों चहका करते
प्रिय तुमसे न कोई शिकवे गिले
स्वागत मेहमान का तुमसे है
सम्मान बड़ो का तुमसे है
मै चलता फिरता पुतला हूँ
मेरा जीवन प्यारी तुमसे है
        – कमल तिवारी 

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
 विराम चिन्ह
पद समाप्ति पर अंतराल की जरूरत है 
जभी , बाजी 

शनिवार, 6 जनवरी 2024

ज्योति जैन

मेरा जीवन तुमसे है
भारतीय नारी हूँ, सात जन्मों का साथ है,
युगों युगो से आस्था एंव विश्वास है,
संघर्षो से जीवन सुरभित हुआ,
दीप वन जल रही हूँ कयामत तक साथ है ।।

तुमसे ही खुबसूरत एहसास है,
तुमसे ही मेरा सोलह श्रृंगार है,
तुमसे ही मेरा प्यारा संसार है,
तुमसे ही जीवन का आधार है।।

मेरा परिचय थोड़ा सा, पर तुममें व्यापकता है 
तुमसे जुड़कर कोई भी, मंजिल को पा सकता है
 मैं मानस की चौपाई, तुम पुरी रामयाण हो 
  एक पक्ति में कह दूँ तो।

मेरा जीवन तुमसे है। साथ तुम्हारा पाया,
 मुझको कितना मान मिला 
हर प्यारे से रिश्ते का मुझको भी स्थान मिला 
मैं साधारण पानी हूँ, तुम मलयागिरि चन्दन हो 
एक यक्ति में कह दूँ तो मेरा जीवन तुमसे है ॥


प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
वर्तनी एवं विराम चिन्ह
एवं होना चाहिए , पंक्ति, उक्ति, तुम में 
जोड़ीदार का नाम काव्य में निहित नहीं है।
कोई अंश 5 पंक्ति तो कोई चार पंक्ति के है। 

शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

महाश्वेता राजे

मेरा जीवन तुझसे है 
कुछ खट्टा ,कुछ मीठा ,कुछ खट्टा ,कुछ मीठा
 तेरा -मेरा प्यार ये कितना अनूठा 
 बिन तेरे मैं रह ना पाऊं, बिन मेरे तू रह न पाए 
तेरा -मेरा प्यार ये कितना मीठा-मीठा ,

 पल में हँसाता, पल में रुलाता 
जीवन के हर रंग दिखाता 
इस बेगानी सी दुनिया में
 अपने पन का एहसास दिलाता,

साथ तेरा इतना प्यारा 
शब्दों की सीमा में न आ पाए
प्यार तेरा इतना गहरा
सागर की गहराई न आ पाए,

नतमस्तक हूँ उस प्रभु को 
जिसने तेरा -मेरा साथ बनाया
देता दुआ मन उस मात -पिता को
जिसने तेरा -मेरा मिलन कराया ,
 

परमपिता परमेश्वर से अर्जी है मेरी
गंगा -यमुना सी अचल रहे यह जोड़ी मेरी
 सत्येंद्र संग महाश्वेता के शरीर में जब तक प्राण रहे 
प्रभु का ही गुणगान करती रहे यह जोड़ी मेरी |
– महाश्वेता राजे, पति -सत्येंद्र बहादुर सिंह 

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
वर्तनी एवं विराम चिन्ह
पंक्तिबद्ध करने में थोड़ा कम ज्यादा का अंतर है, अंतराल बराबर रखें।
प्यार तेरा इतना गहरा
सागर की गहराई न आ पाए, भाव अस्पष्ट, नत्मस्तक जोड़ी हमारी।

गुरुवार, 4 जनवरी 2024

दिपश्री मणियार

जीवनसाथी मेरा जीवन तुम से है।
चौदह सालों का हिसाब वो गिनता, 
लगा के जैसे वनवास खत्म है!! 
मस्ती मजाक में कह गया शायद..
मैं तो कहती, संवाद खत्म है!! 

इसकी उसकी सब की सुन ली,
अब तो सुने हम इक दूजे को, 
कहती दिल पे हाथ तू रख ले, 
फिर कहना ये प्यार भरम है! 

चौदह पल या चौदह चाँद का जीवन,
जितना हो, पूरे चाँद सा जीवन! 
अंधेरे हो या फिर राह उजाले, 
हाथों में थामे हाथ सा जीवन! 

नैनों में आर्त इक दीप जलाता, 
संदेश इस दिल का आह भरे, 
जीवनसाथी संजोग है प्यारा, 
गर इक दूजे की परवाह करें! 

हस्तमिलाप का इक वो दिन था और.. 
मन मिलाप का भी इक दिन हो, 
जुड जायें जब अंतर्मन फिर
जीवन कैसे.. इक दूजे बिन हो!

-𝓓𝓮𝓮𝓹𝓼 𝓐𝓵𝓲𝓿𝓮

(दिपश्री मणियार, 
पुणे, महाराष्ट्र)

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
वर्तनी एवं विराम चिन्ह
जुड़ होना चाहिए 
पूर्ण विराम के स्थान पर विस्मय बोधक चिह्न का प्रयोग, व्याकरण संबंधी अशुद्धि है।
जहां विशेष भाव न उत्पन हो तब तक इक नहीं एक शब्द का ही प्रयोग कीजिए।

बुधवार, 3 जनवरी 2024

प्रमिला सैनी

मेरा जीवन तुमसे है
ना कामदेव सी सूरत तुम्हारी
न कलियों सा यौवन
ऐ प्रियतम फिर भी मेरा जीवन तुमसे है।

ना श्वेत शुभ्र सा रंग है तुम्हारा,
ना तितलियों सा रंग बिरंगा
फिर भी जीवन की तस्वीर तुमसे है।

ना सूरज सी चमक है तुम्हारी,
फिर भी प्रियतम मेरे चेहरे की आभा तुमसे है।

ना चंदन सी महक है तुम्हारी,
फिर भी प्रियतम तेरे तन की खुशबू तुमसे है।

ना बाजुओ में हिमालय सी ताक़त ,
फिर भी प्रियतम आगोश में तेरे आ जाऊ।

सांसो की इस हलचल में ,
ऐ प्रियतम तेरी ही तो धड़कन है।

वो मेरा इंद्र है वो मेरा स्वर्ग है
राजेंद्र मेरा जीवन तुमसे है।

– आपकी हंसती मुस्कुराती सखी प्रमिला सैनी

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
वर्तनी एवं विराम चिन्ह
शब्दों की पुनरावृति के बजाय नए शब्द प्रयोग कीजिए।

कीर्ति देवानी

कविता
मेरा जीवन तुमसे है
_______________
मेरा जीवन तुमसे है
 सुनील संग कीर्ति
जेसे दिया और बाती
तुम जीवन ज्योत हो मेरी मैंअर्धांगी तेरी।
    मेरा जीवन तुमसे है। 
                 मैं लब हु
                  तुम बात हो
                 मैं तब हूं
           जब तुम मेरे साथ हो।
           मेरा जीवन तुमसे है।
मेरा आज तुम
मेरा कल तुम
मेरा आनेवाला हर पल
तुमसे है।
बस यही है कहना
मेरा जीवन तुमसे है।
               मेरा 16 शृंगार तुमसे
               मेरा सजना भी
                  तेरे लिए
          मेरा सवरना भी तुमसे
            मेरा जीवन तुमसे है।
मैं वो लफ्ज़ भी
कहां से लाऊं
कितना प्यार हैं तुमसे 
जो मैं तुम्हें बताऊं
मेरा जीवन तुमसे है।
                  मेरी दुनिया
            मेरी पुरी कायनात हों तुम
               तुम ही जिंदगी
          जीने की वज़ह हो तुम
           मेरा जीवन तुमसे है।

कीर्ती की कलम ✍🏻
कीर्ति देवानी
नागपुर महाराष्ट्र

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें: 
वर्तनी शुद्ध करे – जैसे, अर्द्धांगिनी, हूं, श्रृंगार, संवरना, हो
अल्प विराम चिन्ह नहीं है।

आलोक अजनबी

मेरा जीवन तुमसे है

उपर से ही बनकर आया मिलन का यह संजोग।
 मिलना था तो मिल ही गए ना, शीतल संग आलोक
तुमने जीवन पथ पर थामा जो हाथ मेरा।
घनी रात आलोक का जीवन शीतल ने किया सवेरा।।
घर बाबा का छोड़ के, तुम जो मेरे अंगना आई।
समझ-बूझ से सब जिम्मेदारी तुमने खूब निभाई।।
छम छम करती पायल तेरी, खन खन करते कंगना।
इस बगिया में दो फूल खिले महका मेरा घर अंगना।।
चलना सीख रही बिटिया जब खुद हम तुम तक आई।
आज पैरों पर खड़ी हो रही, रंग तेरी मेहनत ही लाई।।
देखो !जीवन पथ पर चलते चलते बीते कितने साल।
इसी साल है 'सिल्वर जुबली' क्यूं ना करे धमाल।।
तुम शमां सी शीतल मैं परवाना आलोक
बस खुशियां ही खुशियां बरसे, हो ना कोई शोक।।
प्रीत ,मीत तुम ही हो‌ शीतल, सारी दुनिया तुमसे है।
लो !आलोक ने लिखकर दे दिया मेरी दुनिया तुम से है।।
© आलोक अजनबी


प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें : 
वर्तनी शुद्ध नहीं है  ,
विराम चिन्ह ठीक करे।
भाव ठीक है पर विस्मय बोधक चिह्न व्यर्थ है।

मंगलवार, 2 जनवरी 2024

आभा गुप्ता

मेरा जीवन तुमसे है
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शीर्षक- मेरे साथी 
जब एक दिन बहुत उदास थी,
जब एक रात बहुत कठिन थी,
थामा था उस रोज हाॅथ मेरा,
तब से मेरा नाता तुमसे है, 
मेरे प्रियतम मेरे साथी,
मेरा जीवन तुमसे है,

मेरा जीना मेरा मरना,
मेरी जीत मेरी सब हार,
मेरे जीवन का सब सार, 
मेरे मनभावन तुमसे है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी, 
मेरा जीवन तुमसे है,

यौवन जब छू भी ना पाया,
स्वप्न कोई मन मे न अाया,
तब तुम मेरे जीवन मे आऐ,
मेरी सब उम्मीदें तुमसे है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी, 
मेरा जीवन तुमसे है,

मेरे साज मेरे श्रंगार,
मेरी भरी गोद का ये उपहार,
घर ऑगन और ये संसार,
तन, मन, धन सब तुमसे है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी, 
मेरा जीवन तुमसे है,

चले कदम जब साथ तुम्हारे,
हर मंजिल हमने पाई है,
चमकी हूं मै आभा बनकर,
तुमने विजय बन जीत दिलाई है,
तुम्हें आभार मेरा मन से है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी, 
मेरा जीवन तुमसे है,

मेरी हां मेरा इन्कार,
मेरा रूठना मेरा मनुहार,
सब ऋतुएं और सब बहार,
सबकुछ तेरे दम से है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी, 
मेरा जीवन तुमसे है,

गाती हूं हरपल जिस धुन को,
तुम मेरे जीवन की वो गुनगुन हो,
हर कठिन दौर मे साथ निभाना,
यही विनय मेरी तुमसे है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी, 
मेरा जीवन तुमसे है।
रचना- आभा गुप्ता
इंदौर (म.प्र.)
स्वरचित

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें –
वर्तनी शुद्ध करे : हाथ, आया, आंगन, में, श्रृंगार शब्द ठीक करे।
पूर्ण विराम चिन्ह नहीं है।

विजेताओं को प्राप्त अंक और रैंकिंग

सभी सम्मिलित प्रतिभागियों का हार्दिक आभार और सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं। 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 क्रमवार अंक तालिका :- 1. कमल पटेल ...