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रविवार, 31 दिसंबर 2023

खुशबू

माँ शारदे को प्रणाम 🦜🦜
नमन काव्य मंच🙏

काव्य प्रतियोगिता का आयोजन
(26-12-2023 से 10-01-2024 तक)
प्रदत्त पंक्ति ----- मेरा जीवन तुमसे है
(पत्नी या प्रेमिका पर आधारित कविता)
विधा ------- कविता (मुक्तक)
दिनांक ------ 30/12/2023
पति का नाम :- अंकित
खुद को अंकित किया मेरे दिल पे, मेरा अंकित मेरी जिंदगी है।
बिन तुम्हारे रहूँ एक पल न, जाने कैसी ये दिल की लगी है।

प्यार है तो बहुत मुझको लेकिन, प्यार की हद न मुझको पता है।
प्यार से प्यार घबरा न जाये, ये ज़माना बहुत कलयुगी है।
खुद को अंकित किया मेरे दिल पे,,,,

तेरी खुशियाँ ही हिम्मत है मेरी, बस नहीं होना मायूस यूहीं
सौपा है सारा जीवन ये तुझपे, हर खुशी तुझपे कुर्बान की है।
खुद को अंकित किया मेरे दिल पे,,,,,

दिल की बातें नहीं दिल में रखना, मुझसे कह देना दिल खोलकर तुम
आखिरी बात खुशबू के दिल की , तुमको अब तक सुनाई भी दी है।
खुद को अंकित किया मेरे दिल पे,,,,,

खुशबू 
हाँसी (हिसार)
वर्तमान पता: रोहतक (हरियाणा)
स्वरचित/मौलिक✍️

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :–
नुक्ता , अल्प विराम चिन्ह ,
कविता में पंक्तियों के भाव अस्पष्ट है।
तुकांत भिन्नता ।

योगिता मधुसूदन सदाणी

मेरा जीवन तुमसे है
************************
मुझे तुम्हारे सीने से लिपटना अच्छा लगता है,
शायद तुम्हारे दिल की धड़कन में 
अपना नाम सुनना अच्छा लगता है।

चाहे ग़म के हो बादल,
या खुशियों की सौगात हो,
तुम्हारा साथ देना अच्छा लगता है,
मुझे तुम्हारे सीने से लिपटना अच्छा लगता है॥

चाहे तन्हाई की हो रातें,
या मिलन के हो पल,
तुम्हारे दिल में रहना अच्छा लगता है।
मुझे तुम्हारे सीने से लिपटना अच्छा लगता है॥

सुनो, 
तुम अपने दिल का थोड़ा ज्यादा ख्याल रखा करो ना,
कहते नहीं तो क्या हुआ,
मेरा लिपटना तुम्हें भी तो अच्छा लगता है ना,
की तुम्हारे दिल की धड़कन में मेरा ही नाम बसता है,
यह मेहसूस करवाना अच्छा लगता है ना।
इसलिए तो मुझे तुम्हारे सीने से लिपटना अच्छा लगता है।

तुम्हारे दिल की हर धड़कन में मधु–योग सुनना अच्छा लगता है।।
           – सौ. योगिता मधुसूदन सदाणी

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :–
कोई तीन कोई चार पंक्ति के चरण,
वर्तनी : गम , महसूस, क्या हुआ?


अवध नारायण यादव

नमन माँ शारदे काव्य मंच🙏
काव्य प्रतियोगिता का आयोजन
(26-12-2023 से 10-01-2024 तक)
प्रदत्त पंक्ति ----- मेरा जीवन तुमसे है
(पत्नी या प्रेमिका पर आधारित कविता)
विधा ------- कविता (मुक्तक)
दिनांक ------ 26/12/2023
पत्नी का नाम ------ श्रीमती फूला देवी

फूला तुम फूल के जैसी हो, मेरे जीवन का आधार।
मैं भौरा हूँ तो तुम कली प्रिये, करता हूँ तुमको प्यार।
मेरा जीवन तुमसे है तुम बिन मेरा जीना मुश्किल है,
इस प्रकार प्रेम कायम रखना, मैं करता रहूँ एतबार।

जब से मैं तुमको पाया हूँ, मैं फूला नहीं समाता हूँ।
तुम चाँद हो मैं चकोर हूँ, दिल तुमसे ही लगाता हूँ।
तुम्हें देखे बिना एक पल भी मेरे दिल को चैन नही,
जब भी देखो जहाँ देखो, बस गीत तुम्हारा गाता हूँ।

जिस प्रकार मछली पानी बिन, रह नहीं पाती है।
पानी से बाहर कर दो तो, तड़प के मर जाती है।
उसी प्रकार तुम्हारे बिन मैं तड़प तड़प मरता हूँ,
कभी जुदा मत होना मुझसे, ये दिल जज्बाती है।

अपने हर निर्णय में तुमको, सहभागी मैं बनाता हूँ।
तुमसे बिना किये मशविरा, मैं न कुछ कर पाता हूँ।
तुम मेरी परछाईं हो मैं तेरा आभार व्यक्त कर रहा,
मेरा ये जीवन तुमसे है, मैं कसम खुदा की खाता हूँ। 

– अवध नारायण यादव
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
स्वरचित/मौलिक✍️

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– कुछ शब्दों में मात्रा शुद्ध नहीं भौरा, मशवरा, शब्द शिल्प पर थोड़ा और ध्यान दे ताकि कविता सरस लगे। विराम चिन्ह ठीक करे।

बलवंत सिंह राणा जी

है मेरी संजना प्रिया
तुम जीवन की मझधार हो
जबसे इस मुस्कान का हिस्सा बनी
मेरी जीवन घट की चाह जीने की बड़ी
मां बचपन में चली गई
मातृ सुख की चादर से महरूम रहा
जिस छाया तले अपना मुकाम हासिल किया
उसका ऋण भी ना चुका पाऊंगा
तेरे जीवन में आने से कितना प्यार मिला
तेरी हर इच्छा को पूर्ण नहीं कर पाया
तूने मुझे जीवन मे इंसान बनाया
मां का रूप भी तेरे अंदर पाया
डाट जब रोज सुबह मुझको लगती
बचपन को फिर से जी लेता हूं
सच में इस बलवंत का बल भी फीका
जहां संजना तेरी मुस्कान की छाया
तुम ही जीवन का अंतिम आस और सांस है
एक उद्देश्य एक मां एक पत्नी का स्वरूप हो
सत्य यही कि इस जीवन का आधार हो
                    – बलवंत सिंह राणा 

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :–
वर्तनी : मझधार ,  जब से, बढ़ी ,जिसकी छाया, डांट, लगाती,सांस हो।
तुकांत नहीं है।
विराम चिन्ह नहीं है।