----------------
शीर्षक- मेरे साथी
जब एक दिन बहुत उदास थी,
जब एक रात बहुत कठिन थी,
थामा था उस रोज हाॅथ मेरा,
तब से मेरा नाता तुमसे है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी,
मेरा जीवन तुमसे है,
मेरा जीना मेरा मरना,
मेरी जीत मेरी सब हार,
मेरे जीवन का सब सार,
मेरे मनभावन तुमसे है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी,
मेरा जीवन तुमसे है,
यौवन जब छू भी ना पाया,
स्वप्न कोई मन मे न अाया,
तब तुम मेरे जीवन मे आऐ,
मेरी सब उम्मीदें तुमसे है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी,
मेरा जीवन तुमसे है,
मेरे साज मेरे श्रंगार,
मेरी भरी गोद का ये उपहार,
घर ऑगन और ये संसार,
तन, मन, धन सब तुमसे है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी,
मेरा जीवन तुमसे है,
चले कदम जब साथ तुम्हारे,
हर मंजिल हमने पाई है,
चमकी हूं मै आभा बनकर,
तुमने विजय बन जीत दिलाई है,
तुम्हें आभार मेरा मन से है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी,
मेरा जीवन तुमसे है,
मेरी हां मेरा इन्कार,
मेरा रूठना मेरा मनुहार,
सब ऋतुएं और सब बहार,
सबकुछ तेरे दम से है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी,
मेरा जीवन तुमसे है,
गाती हूं हरपल जिस धुन को,
तुम मेरे जीवन की वो गुनगुन हो,
हर कठिन दौर मे साथ निभाना,
यही विनय मेरी तुमसे है,
मेरे प्रियतम मेरे साथी,
मेरा जीवन तुमसे है।
रचना- आभा गुप्ता
इंदौर (म.प्र.)
स्वरचित
प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें –
वर्तनी शुद्ध करे : हाथ, आया, आंगन, में, श्रृंगार शब्द ठीक करे।
पूर्ण विराम चिन्ह नहीं है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें