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सोमवार, 1 जनवरी 2024

मन का आनन्द : मोनिका आनन्द डागा

दिन का रात से सूरज का प्रकाश से ,
जो रिश्ता है, वही रिश्ता है मेरा आपसे।
 बिना रंगों के इंद्रधनुष नहीं ,बिना बादलों के बरसात,
 बिना सावन प्रीत है अधूरी, बिना वेणू के घनश्याम ।
 
दिया का बाती से , सूई का धागे से,
 जो रिश्ता है ,वही रिश्ता है मेरा आपसे ।
 बिना फूलों के खुशबू नहीं, बिना भंवरों के मधु स्वाद ,
 बिना पहिए के गाड़ी अधूरी ,बिना पवन के प्राण ।
 
घड़ी का समय से , पृथ्वी का सूरज से ,
जो रिश्ता है, वही रिश्ता है मेरा आपसे ।
बिना खुशी के जीवन अधूरा , बिना प्यार के परिवार ,
बिना चाह के हर भाव अधूरा ,बिना तुलसी दल के हरि भोग ।

कांटों का गुलाब से , होठों का प्यार के जाम से,
जो रिश्ता है ,वही रिश्ता है मेरा आपसे । 
बिना शक्ति शिव अधूरा , बिना प्रीत के रीत,
बिना "मोनिका के आनंद" अधूरा ,बिना साथ के मनमीत ।

सांस का प्रस्वास से , आत्मा का परमात्मा से,
जो रिश्ता है वही रिश्ता है मेरा आपसे ।
बिना चांदनी के चांद , बिना भाव के गीत,
 बिना राधा के श्याम अधूरा , बिना भक्त के भगवान ।

गुरु से शिष्य का ,अमावस का पूनम से,
जो रिश्ता है ,वही रिश्ता है मेरा आपसे ।
बिना नमक के स्वाद भोजन का , बिना मिठास के वाणी ,
बिना सच्चे दोस्तों के जीवन अधूरा, बिना सुबह के शाम ।
 - मोनिका डागा "आनंद" , चेन्नई 🙏❤️🙏  

आपके स्नेह और प्यार का धन्यवाद !💕
रचना ( स्वरचित व सर्वाधिकार सुरक्षित) ✍️
LOVE YOU ZINDAGI 🙏♥️🙏

अशुद्धियां जिन पर विचार करें :–
वर्तनी :– दीया, प्रश्वास,अधूरे  नहीं 
तुकान्त नहीं है। ताल मेल नहीं है 
अमावस का पूनम से में भाव नहीं सही।

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