ईश्वर ने जोड़ा इस रिश्ते को एक डोर से,
हमने सजाया इसे प्रेम और विश्वास से।
रीता थी अधूरी बिन पुनीत के,
कर दिया पूरा इसे अपनी प्रीत से।
कैसे कहूं? क्या हो आप मेरे लिए?
सूरज की रोशनी भी आप,
चांद की चांदनी भी आप।
इस हवा में घुली भीनी भीनी सी
खुशबू भी आप।
दिया है साथ आपने हर मुश्किल में मेरा।
आपसे ही तो है मेरे जीवन का हर सवेरा।
हर दर्द की दवा बनकर
आप थे साथ मेरे रहगुजर बनकर।
इस प्रेम की बगिया में खिले दो फूल अनमोल।
किसे सींचा हमने अपने प्रेम से बिना कोई भूल।
आप के बिना मैं थी अधूरी
आपसे ही तो चलती है मेरे सांसों की डोरी।
जीवन के इस सफर में रहे हरदम साथ हमारा।।
©रीता पुनित उपाध्याय
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