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मंगलवार, 9 जनवरी 2024

अज्ञात

सिर्फ तुम हो, और खास ,कुछ भी नही
वर्षा, तेरे सिवा मेरे पास, कुछ भी नहीं 
जब तलक साथ हो, जिंदा हूं मैं
वर्ना फिर ये श्वास, कुछ भी नहीं
तू कहे वो सच मान लेता हूं
मेरा गैरो पर विश्वास, कुछ भी नहीं
तेरे होने से महकता है घर मेरा
तेरे आगे फूल, पत्ती, पलाश, कुछ भी नहीं 
तू राधा, मैं कन्हैया हूं तेरा
और राधा बिन रास, कुछ भी नहीं 
                – अज्ञात

प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :– 
वर्तनी एवं विराम चिन्ह
नहीं, वरना
अपने स्वयं का ही नाम नहीं लिखा।
कविता को निबंध या लेख की तरह न लिखें।

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