मेरा जीवन तुमसे है
माता पिता के दिल का टुकड़ा, पल में होगी पराई lन चाहकर भी करनी होगी विवाह से रस्म विदाईll
ढूंढ ढूंढ कर वर ढूँढा सुयोग्य l
प्रभु की लीला "चश्मे" ने कराया संजोग ll
बात आगे बड़ी कर दी गई सगाई l
हरवेन्द्र के मन में अब तो पुष्पा थी समाई ll
हाथों में हाथ लिए नए सफर पर साथ चले l
खट्टे मीठे अनुभव कदम दर कदम मिले ll
भारी तूफानों में संबंध हमारे डोले थे l
तलाक दे दो एक दूजे को घरवाले यूँ बोले थे ll
जुदा हो कर हमने महीनों गुजारे थे l
कभी देखने को, कभी सुनने को तरसे थे ll
एक दूजे के बिन हम जी ना पाए थे l
मेरा जीवन तुमसे ही, फिर हम ये बोले थे ll
पुष्पा हरर्वेंद्र का बंधन बना अटूट l
'अचला' बिछड़े तभी जब सांसे जाए छूट ll
– पुष्पा सिंह 'अचला'
प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :–
वर्तनी एवं सटीक शब्द का प्रयोग।
जैसे बड़ी के स्थान पर बढ़ी का प्रयोग होना चाहिए था।
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