कुछ खट्टा ,कुछ मीठा ,कुछ खट्टा ,कुछ मीठा
तेरा -मेरा प्यार ये कितना अनूठा
बिन तेरे मैं रह ना पाऊं, बिन मेरे तू रह न पाए
तेरा -मेरा प्यार ये कितना मीठा-मीठा ,
पल में हँसाता, पल में रुलाता
जीवन के हर रंग दिखाता
इस बेगानी सी दुनिया में
अपने पन का एहसास दिलाता,
साथ तेरा इतना प्यारा
शब्दों की सीमा में न आ पाए
प्यार तेरा इतना गहरा
सागर की गहराई न आ पाए,
नतमस्तक हूँ उस प्रभु को
जिसने तेरा -मेरा साथ बनाया
देता दुआ मन उस मात -पिता को
जिसने तेरा -मेरा मिलन कराया ,
परमपिता परमेश्वर से अर्जी है मेरी
गंगा -यमुना सी अचल रहे यह जोड़ी मेरी
सत्येंद्र संग महाश्वेता के शरीर में जब तक प्राण रहे
प्रभु का ही गुणगान करती रहे यह जोड़ी मेरी |
– महाश्वेता राजे, पति -सत्येंद्र बहादुर सिंह
प्राप्त अशुद्धियां जिन पर विचार करें :–
वर्तनी एवं विराम चिन्ह
पंक्तिबद्ध करने में थोड़ा कम ज्यादा का अंतर है, अंतराल बराबर रखें।
प्यार तेरा इतना गहरा
सागर की गहराई न आ पाए, भाव अस्पष्ट, नत्मस्तक जोड़ी हमारी।
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